*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*पथिक,मझधार,आभार,उत्सव,छाँव*
1 पथिक
जीवन के हम हैं पथिक, चलें नेक ही राह।
चलते-चलते रुक गए, तन-मन दारुण दाह।।
2 मझधार
जीवन के मझधार में, प्रियजन जाते छोड़।
सबके जीवन काल में, आता है यह मोड़।।
3 आभार
जो जितना सँग में चला, उनके प्रति आभार।
कृतघ्न कभी मन न रहे, यह जीवन का सार।।
4 उत्सव
जीवन उत्सव की तरह, हों खुशियाँ भरपूर।
दुख, पीड़ा, संकट घड़ी, खरे उतरते शूर।।
5 छाँव
धूप-छाँव-जीवन-मरण, हैं जीवन के अंग।
मानव मन-संवेदना, दिखलाते बहु रंग।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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