अंनत ब्रह्मांड एक ऊर्जा के अतिरिक्त कुछ नही है |
यह निरंतर प्रवाहित हो रही है यह कहाँ से प्रवाहित हो रही है किसी को नही पता | केन्द्र से निकलकर विभिन्न रुप धारण कर लेती है | यह केवल एक श्रेष्ठ भाव में समाहित होती है | यह नाकारात्मक भाव मे विकराल हो जाती | साकारात्मक भाव से संतुलित होती है | हर जगह एक सार है , इसी से निरंतर निर्माण है | यह असीमित है , अखण्ड है , अविभाजित है , अवरोध सहन नही निरंतर गतिशील है |