विश्व कविता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏
कवि की लेखनी
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जब सारी दुनिया सोती है
तब कवि जागता है
पूरी दुनिया का मन से विचरण कर
अपनी लेखनी में सब कुछ ढालता है ।
प्रकृति से लेकर इंसान के अंदर तक झाँकता है
जग के सारे प्राणी उसकी कलम की अमानत है ।
सुख- दुख, पीड़ा, बैचेनी ,आस, निराश, उत्साह
की नदी की धारा को अपने मन के सागर में
जाकर मिलाता है तभी वह सच्चा सुख पाता है ।
बाँट देता है फिर जग में अपने मन के भावों को
फिर पुनः समेट लेता है अनेक विचारों को
कोरे कागज के आँगन में कुछ फूल बिखराने को।
कवि मन
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संध्या की बेला आते ही
दिनकर भी खो जाता है
रूप बदलकर निशा का
लोगों को सहलाता है ।
रह-रहकर लोग करते हैं
दिनभर का लेखा-जोखा
प्रकृति की इस विराटता का
कोई ना अनुभव कर पाता।
कहीं अकेला खड़ा कवि
धीरे से मुस्काता है
चांदनी की रात में
तारों से बतियाता है।
हवा के झोंके मन को
ठंडक देते रहतें हैं
कोई कविता करवट
बदलती हुई अँगडा़ई
लेती है।
फिर शब्दों का श्रृंगार कर
कलम की डोली में बैठकर
चल देती है कागज के
द्वार तले अपने मन के भाव लिए।
कविता
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रामायण, कुरान,बाइबिल गुरुग्रंथ कविता का सुंदर रूप
छिपा हुआ है इसमें सभी धर्मों का प्रारूप
प्रेम में ही समाया है कविता का सागर
इसमें ही दिखता है जग को ईश्वर का स्वरूप।
आभा दवे
मुंबई