"माँ बहुत उन्मुक्त मन से सुनाया करतीं थीं कहानी..
जब बिजली गुल हो जाया करती थी..
खूब अच्छी तरह याद है..
आईओसी का कैंपस.. बच्चों की भीड़..
हमें याद है वो गुजरा जमाना
जहाँ शरारत भी कहानी बन जाया करती थी.. "
--डॉ अनामिका--
#विश्व_कहानी_दिवस

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111865774

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now