रोटी
रोटी सबको मिले यही कामना करते हैं।
रोटी दाल चलती रहे यही ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
रोटी महंगी हो गई है बेरोज़गारी बढ़ रही है।
रोटी दाल चलना बड़ी मुश्किल हो गई है।
रहती है चाह सबको खाएं रोटी दाल।
बेगानी लगती है रोटी जब मालिक बसे परदेश।
परदेश में बदल देती है रोटी अपने परिवेश।
थाली में आती है रोटी बदल कर कितने रूप।
थाली सजती है मां अन्नपूर्णा की कृपा से
अगर कोई निरादर करे या थाली से जबरन उठा दे
तो भाई अब जान लीजिए मिट जाते हैं
कितने दंभी अहंकारी नृप और भूप।
रोटी की थाली का करें नमस्कार बारंबार।
हे मां अन्नपूर्णा देवी मिलती रहे दाल और रोटी सबको
यही आराधना है कोटि कोटि बार।
जय मां अन्नपूर्णा कोटि कोटि प्रणाम।
-Anita Sinha