काया लिखूं तेरे बारे मैं ’अंत ’अल्फाज नहीं रहे
शोर बहोत था मन मैं फिर भी खामोश रहे
भरी महेफिल मैं भी ढहेर जाती हैं सिर्फ तुजपे नजर
मुकदर का पता नहीं निगाहे जरूर मिल जाती हैं
देखा है मेने भी तेरी आंखो में इंतजार
बस इसी वजे से हम कुर्बान होते जारहे है
पता नही क्या हुआ और कया होगा
रुक सी गई हैं जिंदगी बस हाल बड़े बेहाल है
-Ami (अंत)