प्रमाद ही मृत्यु है। सर्वत्र परिपूर्ण #गुरुदेव को भूलना ही मूल प्रमाद है। गुरु-तत्त्व सब देशमें, सब कालमें, सब वस्तुओंमें, सब परिस्थितियोंमें, सब व्यक्तियोंमें, सब घटनाओंमें, सब क्रियाओंमें नित्य-निरन्तर विराजमान है, ऐसे गुरुदेवसे विमुख होना ही प्रमाद है। #bhaktikileher – at Art of Living International Centre
Courtesy Hon Swami Sri Brahmchaitanya ji on Twitter