होठोंकी मुस्कान ग़र मै ही हुँ तो इजहाऱ कर!
तलप तेरे दिलकी सिर्फ मै हुँ प्रीति प्यार कर ll
मुझसे अच्छा प्रेमी नहीं मिलेगा कभी धरती पर!
यह धरती पर आई हो बरस बरस हरियाली कर ll
लोग केहते है की मेरी पसंद तु बने तु दुआ कर!
हम एक हो जाय फिर तुलना राम-सीता से कर ll
- वात्सल्य