*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*फागुन,फाग,पलास,वन,जोगी*
1 फागुन
फागुन का यह मास अब, लगता मुझे विचित्र।
छोड़ चला संसार को, परम हमारा मित्र।।
2 फाग
उमर गुजरती जा रही, फाग न आती रास।
प्रियतम छूटा साथ जब, उमर लगे वनवास।।
3 पलास
रास न आते हैं अभी, अब पलास के फूल।
बनकर दिल में चुभ रहे, काँटों से वे शूल।।
4 वन
वन में झरे पलास जब, लगें गिरे अंगार।
आग लगाने को विकल, लीलेंगे संसार।।
5 जोगी
धर जोगी का रूप दिल, चला छोड़ संसार।
तन बेसुध सा है पड़ा, जला रहा अंगार।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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