तो फिर देर कैसा तो फिर बात किसकी
ये दिन आजकल है ये है रात किसकी
ये चंदन ये पुरवा ये नगमे बहारें।
ये सब चंद दिन के हैं मेहमा नवाज़ी।
करे क्यू शिकायत खुद से खुदा से।
करे न कोई भी अब हम जालसाजी।
चलो चांद तारो का बस एक माप लेने।
करेंगे फतह जो भी हारी है बाजी।
-Anand Tripathi