स्त्रियों को पसंद होती है चाय
अक्सर दिख जाते है उनके हाथ में कप
घर आने वालों से जरूर पूछती है चाय
चाय लगती उन्हें अपनी सी
संस्कारों की पत्ती उबाल
वाणी की मिठास घोल
आत्मसमान की अदरक
देह की इलाइची कूटकर
ससुराल नामक दूध में घुल
भुला देती अपना अस्तित्व
और फिर जब तब दिख जाती है
हाथ में लिए गर्मागर्म चाय का कप
फूंक से उड़ाती भाप संग
उड़ाती अपनी आहें।
-Priya Vachhani