खरीद लेते.....................................
बाज़ार में मिलता तो सब कुछ खरीद लेते,
ग़म और आंसू बेच कर उसके बदले खुशियां खरीद लेते,
खाली कर देते अपनी जेब सारी,
हम अपनी तो अपनी साथ - साथ,
औरों की खुशियां भी अपने ज़िम्में ले लेते.........................
थोड़ी आसाइशें खरीद लेते,
थोड़ी देर वक्त को रोक देते,
अपनी मर्ज़ी से चलाते दुनिया को,
उस दिन हम खुदा हो गए होते...................................
किस्मत को अपनी थोड़ा सा और चमकाते,
हम दया और इंसानियत को घर ले आते,
महंगी कितनी भी क्यों ना हो ऐ चीज़ें,
हम खुद को बेच बाज़ार से,
थोड़ा सुकून, थोड़ा इक्मिनान ले आते...............................
स्वरचित
राशी शर्मा