मुझमें तुम.............................
बाहर शोर है, भीतर तेरा मौन है,
शक्ल है मेरी अक्स में कोई और है,
दो लोगों की परछाई अब एक हो गई,
चाँदनी पूछती है मुझसे तू किसमें खो गई...........................
मैं और तुम चलते है, भीड़ चलती है साथ में,
दिखती तो मैं एक ही हूँ, तेरा तो बस एहसास है,
ना कोई गिला है तुझसे,
ना ही कोई सवाल है,
तू ऐसा है मैं ऐसी हूँ,
यहीं तो दोनों का किरदार है............................
याद आए तो लौट कर ना आना,
जब बेवफा हो ही गए तो उसे पूरा निभाना,
समझ जाओ कि तुम्हें माफ कर दिया हमने,
तुम भी आगे बढ़ कर हमें माफ करते जाना......................
स्वरचित
राशी शर्मा