बेश्किमती एहसास है.......................
बेश्किमती एहसास है........................
हर चेहरा खुद के लिए खास है,
मुलायम सी चमड़ी को हर जुल्म से बचाते है,
धूप में दुपट्टा बांधते है और सर्दी में क्रीम लगाते है,
ऐसा क्या खास है जो दुबके - दुबके फिरते है,
कैसे कहें कि हम लोगों से नहीं उनकी नज़रों से छुपते है........................
बेश्किमती एहसास है..........................
आखों के पास भी ज़ुबान है,
हमको छोड़ सबसे बाते करती है,
गुस्से से घूरती है और ग़म में रो देती है,
ड़रती है, ड़राती है इशारों की भाषा भी यही जानती है,
जो देख लेती है एक दफा वो भूल नहीं पाती,
गवाही देती है सच्चाई का ऐ झूठ के आगे भी है अकड़ जाती.....................
बेश्किमती एहसास है......................
हर रंग की अपनी एक पहचान है,
नाम भी तो चेहरे का मोहताज है,
हर किसी की कहानी में गोरा रंग ही सफल नहीं होता,
सांवले रंग से पूछो वो औरों से जुदा हो कर कैसे है खुश रहता,
प्रख्यात है वो शख्स भी जो आम सा दिखता है,
हैरान है दुनिया वो ऐसा कैसा है.........................
स्वरचित
राशी शर्मा