जंगल में खोया मैं..............................
मैं किरण हर जगह हूँ,
अंधेरे को काटती मैं अनोखी सुबह हूँ,
मैं ना हूँ तो विश्व के अंतर्मन में रात छा जाए,
मैं ही तो हूँ वो जादू जो सबको गहरी नींद से होश में लाएं,
इंसानों से लेकर हर कोई मुझसे जुड़ा है,
मैं ना हूँ तो हर कोई कितना अकेला है.............................
मुझ किरण की मारक - क्षमता ना पूछों,
घने जंगल की घरती पर भी मैं गिरता हूँ,
सूखा देता हूँ सारी नमी को मैं,
जड़ों को मज़बूती देता हूँ,
शहर और गाँव की तो मुझसे दोस्ती है,
वो सभी मुझसे वाकिफ है तभी तो अर्ज़ियां डाल मुझे बुलाते है,
और जब रूठ जाते है मुझसे तो,
मिन्नतें कर मुझे छुप जाने के लिए मनाते है.....................
स्वरचित
राशी शर्मा