विषय - नीले गगन के तले
दिनांक -13/11/2022
खुले नीले आसमान तले,
हम दोनों का ब्रेंच पर बैठना।
आंखों में आंखें डालकर,
एक दूसरे को प्रेम से देखना।।
देखकर मेरे हसीन चांद को,
आसमानी चांद का शर्मा जाना।
अपने आप में उसे दाग दिख रहे,
मेरे चांद का बेदाग दिख जाना।।
रात में तारों की चमक से,
रूप उसका खिल गया था।
जैसे कोयले की खदान से,
हीरा कोई मिल गया था।।
ठंडी ठंडी हवाओं के चलने से,
जुल्फें उसकी यों लहराना।
खुले गगन में घुमड़ घुमड़ कर,
जैसे बादल का घिर जाना।।
उनकी इन्ही अदाओं पर तो,
दिल उसकी ओर खिंचता है।
जब जब वो सामने आती है,
दिल जोरों से धड़कता है।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री