सादगी तो देखों...............................
खुशी में हंसता हूँ, ग़म में भी हंसता हूँ,
कोई डांट दे अगर तो वो भी सुन लेता हूँ,
दर्द में खामोशी औढ़ लेता हूँ,
मेरी सादगी तो देखों दिखावा नहीं करता,
फिर भी भीड़ इकट्टठी कर लेता हूँ......................................
सादा सा इंसान हूँ,
सादगी से जीना पसंद करता हूँ,
अकड़ने की कोई वजह नहीं मेरे पास,
घमण्ड़ से दूर रहता हूँ मैं..............................
सबकी अपनी शैली है, हर कोई एक जैसा नहीं,
कोई जमा करता है पैसा यहां,
किसी को रूतबे की बीमारी है,
हमने संजाएं हो कर्म यहां,
क्योंकि अंत में उसी से सबकी यारी है..............................
स्वरचित
राशी शर्मा