“बर्फ़ीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
बर्फ़ीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूँजती हुई खामोशियाँ सुनें
वादी में गूँजती हुई खामोशियाँ सुनें
आँखों में भीगे भीगे से लम्हे लिए हुए
दिल ढूंढता है ओ दिल ढूंढता
है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फ़ुर्सत के रात दिन बैठहे रहें
तसवउर ए जाना किए हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फ़ुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही”
❤️