इस दफा...........................
अब हाय - हैलो से आगे बढ़ते है,
एक - दूसरे से बातें करते है,
कुछ तुम अपनी कहो,
कुछ मैं अपनी कहूँ,
आओ इस दफा आगे की शुरूआत करते है..........................
फोन पर बात नहीं करनी,
अब आमने - सामने बैठ कर कुछ कहना है,
तुम्हारा मन नहीं जवाब देने का तो ठीक है,
इस दफा मुझे तुम्हें कुछ सुनाना है................................
खत, कागज़ - कलम सब पुराने हो गए,
हम तो मैसेज पर बातें कर के भी बोर हो गए,
ना बात समझ आती है ना जज़्बात बयान होते है,
हम उस दिन अगले दिन के इंतज़ार में रहते है..............................
स्वरचित
राशी शर्मा