ना जोड़ो...........................
ना जोड़ो इतना कि संभाल भी ना पाओ,
खो जाओ उसे समेटने में और बेज़ार हो जाओ,
पहचान तो बना ली मगर खुद से ही खो गए,
भीड़ में हम अकेले से हो गए..............................
इतना ना डूबों कि वक्त का पता ही ना चलें,
कहाँ ज़ाया हो गया खबर भी ना रहे,
ना दिन का होश रहता है,
ना इतवार का पता चलता है,
तारीख तो बदल जाती है,
मगर कलैण्डर का पन्ना वही पुराना ही रहता है..........................
स्वरचित
राशी शर्मा