यूँही दिल ने चाहा था रोना रुलाना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
यूँही दिल ने चाहा था रोना रुलाना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
हमें भी नहीं इल्म
वो बीती रुते है के आता जमाना
वो बीती रुते है के आता ज़माना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
गम ए दिल है और गम ऐ ज़िन्दगी भी
न इसका ठिकाना न उसका ठिकाना
गम ए दिल है और गम ऐ ज़िन्दगी भी
न इसका ठिकाना न उसका ठिकाना
न इसका ठिकाना न उसका ठिकाना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
कोई किसपे तड़पे
इधर दिल जला है
इधर दिल जला है
तेरी याद तो बन गई इक बहाना
यूँही दिल ने चाहा था रोना रुलाना
तेरी याद तो बन गई इक बहाना.
……………साहिर लुधियानवी