दीप मालिके हर ले तम को ......
दीप मालिके हर ले तम को,
हर देहरी में दीप जलें।
सुख यश वैभव हर आँगन में,
खुशियों के नित फूल खिलें।
एटम बम पर बैठी दुनिया,
भय का यह माहौल टले।
सुख-शांति में वृद्धि आए ,
दुश्मन बाहर हाथ मले।
जात पाँत की मिटें लकीरें,
मिलकर साथी सभी चलें।
मन में दानवता को पाले,
अब भी कुछ शैतान खड़े ।
मानवता सिसके कोने में,
बेकसूर इंसान लड़े ।
प्रगति पथों पर ही सब दोड़ें,
नेता फिर से नहीं छलें।
कटुता का हो अंत जगत से,
प्रेम भाव चहुँ दिश हर्षे ।
सद्भभावों की उड़ें पतंगें,
दया भाव जग में बरसे।
कर्मठता की बजे बाँसुरी,
खतरे सारे सभी टलें ।।
धर्म-युद्ध के थमें नगाड़े,
सद्बुद्धि* सबको उपजे।
उन्नति की ही ध्वज फहराएँ,
जीवन में सब रहें मजे ।
लक्ष्मी जी की कृपा रहे जब,
नेक राह पर सभी चलें।
राजनीति में प्रतिनिधियों को,
परखें, सोचें चुनें-भले।
जो जनता के सच्चे सेवक,
उनके ही सब लगें गले।।
दीप मालिके कर उजियाला,
हर देहरी में दीप जलें।
मनोजकुमार शुक्ल मनोज
20 अक्टूबर 22