*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*दीपक, वर्तिका, दीवाली, रजनी, रंगोली*
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दीपक
दीपक का संदेश है, दिल में भरें उजास।
घोर तिमिर का नाश हो, रहे न विश्व उदास।।
मानवता की ज्योत से, नव प्रकाश की पूर्ति।
सबके अन्तर्मन जगे, दीपक की यह ज्योति।।
वर्तिका
जले वर्तिका दीप की, फैलाती उजियार।
राह दिखाती जगत को, संकट से उद्धार।।
दीवाली
रात अमावस की रही, घिरा तमस चहुँ ओर।
राम अयोध्या आ गए, दीवाली की भोर।।
दीवाली की रात में, आया उल्लू पास ।
टुकुर टुकुर सब देखते, श्री लक्ष्मी का खास ।।
रजनी
रजनी का घूँघट उठा, दीपक आत्म विभोर।
जीवन साथी मिल गया , बना वही चितचोर।।
रंगोली
रंगोली द्वारे सजे, आए जब त्यौहार।
रंग बिरंगे पर्व सब, खुशियाँ भरें हजार।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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