आज दुर्गा का रूप है चंद्रघंटा। चंद्रघंटा का अर्थ है शीतल और अति सुंदर!
जैसे चेतना शरीर से निकल जाती है फिर शरीर चाहे जितना भी सुंदर हो उसकी सुंदरता का कोई महत्व नहीं। शरीर की सुंदरता चेतना से है और वह चेतना शीतल और सुंदर है। इस शरीर को घट कहा गया है। जो घट को घटित करती हैं वो घंटा है।
घंटानाद से मन इधर-उधर नहीं भटकता, विचार शांत हो जाते हैं, सिर्फ नाद रहता है। ऐसे चंद्रघंटा वह चेतना है जो नाद से और सुंदरता से आपको ऊपर उठाती हैं और आपकी सारी कामनाएँ पूरी करती हैं। वह चेतना, वह शक्ति, वही चंद्रघंटा हैं।
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