यादों में तुम बसे हुए हो,
दूर तलक तुम रमे हुए हो।
श्राद्ध पक्ष में तर्पण करके,
कैसे मैं कर्तव्य निभाऊँ।
हे मेरे सपनों के स्वामी,
कैसे चरणों शीश नवाऊँ।
हर क्षण मेरे साथ खड़े हो।
अंगुली थाम बड़े हुए हम,
चलना तुमने ही सिखलाया ।
कभी राह से भटक गये तो,
प्रेम भाव से मुझे बताया ,
रोम रोम में बसे हुए हो ।