*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*अंजन,आनन,आमंत्रण,आँचल,अलकें*
1 अंजन
आँखों में अंजन लगा, माँ ने किया दुलार।
कोई नजर न लग सके, किया मातु उपचार।।
2 आनन
आनन-फानन चल दिए, पूँछ न पाए हाल।
सीमा पर वापस गए, चूमा माँ का भाल।।
आनन(चेहरा)
आनन पढ़ना यदि सभी, लेते मिलकर सीख।
दश-आनन को द्वार से, कभी न मिलती भीख।।
गज-आनन की वंदना, करती बुद्धि विकास ।
दुख की हटती पोटली, बिखरे ज्ञान उजास ।।
3 आमंत्रण
आमंत्रण है आपको, खुला हुआ है द्वार।
प्रेम पत्रिका है प्रिये, करता हूँ मनुहार।।
4 आँचल
माँ का आँचल है सुखद, मिले सदा ही छाँव।
कष्टों से जब भी घिरा, मिली गोद में ठाँव।।
5 अलकें
घुँघराली अलकें लटक, चूमें अधर कपोल।
कान्हा खड़े निहारते, झूल रहीं हिंडोल।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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