कोरोना! कोरोना! कोरोना!
ऑ कोरोना के रखवाले
सुन हम दुःखीओ के नाले
जीवन मौत के दो रंगों से दुनिया तू ने बनाई
जनम संग तूफ़ान बनाया, जीवन के साथ मौत
जा देख लिया हरजाई
तुट गई मेरे जीवन की आशा ,अब तो कोरोना बंध कर संग बनी प्रेम की बरखा, सहवास बने अंगारे
दर्द बन गई रात सुहानी, दवाई बन गई दुर्लभ
सब टूट चूके हैं सहारे
कोरोना अपना वापस ले ले, कोरोना देने
वाले
होस्पीटल को ढूंढें बेबस दर्दी, दवाई को ढूंढे आदमी
मैं भी ढूंढूं उस दवाई को, जो मील न सके भर बाजार
कोरोना बूरा हो तेरा
आमदनी खुटी आस ना टूटी, दिल में पड़ गए छाले घर उदास बंगला सुना, चुप-चुप हैं झोंपड़ियाँ प
दिल क्या उजड़ा, दुनिया उजड़ी, रूठ गयी हैं बहारें
हम जीवन कैसे गुज़ारें
आदमी मरता फिर उठ ना पाता, किसको कौन संभाले
ऑ कोरोना के रखवाले
सुन हम दुःखीओ के नाले
🥵। 🙏🏻