मजे में हूँ मजे में हूँ
घुटने बोलते हैं और लड़खड़ाता हूँ
छत पर रेलिंग पकड़कर जाता हूँ।
दाँत कुछ ढीले हो चले
रोटी डुबा कर खाता हूँ।
वो आते नहीं बस फोन पर पूछते हैं कि कैसा हूँ ?
बड़ी सादगी से कहता हूँ
मजे में हूँ मजे में हूँ ।
दिखता है सब पर वैसा नहीं दिखता,
लिखता हूँ सब पर वैसा नहीं लिखता।
आसमान और आँखों के बीच अब कुछ बादल सा है दिखता,
पढ़ता हूँ अखबार पर कुछ याद नहीं रहता,
डॉक्टर के सिवाय किसी और से
कुछ नहीं कहता।
पूछते हैं लोग तबियत
बड़ी सादगी से कहता हूँ
मजे में हूँ मजे में हूँ ।
कभी दो रंगी मोजे जूतों में हो जाते हैं,
कभी बढ़े हुऐ नाखून यकायक चश्मे से किसी महफिल में दिखाई देते हैं।
फिर अचकचा कर उनको छुपाता हूँ,
कभी बीस व तीस का अन्तर
सुनाई नहीं देता,
बहुत से काम अब अंदाजे से कर लेता हूँ।
कोई कभी पूछ लेता है
कहाँ हूँ कैसा हूँ,
हँस कर कह देता हूँ
मजे में हूँ मजे में हूँ
बीत गया है लंबा सफर पर इंतज़ार बाकी है,
हासिल कर ली हैं मंज़िलें
पर प्यास अभी बाकी है।
ख़ुद तो दौड़ सकता नहीं
अब अपनों में बाज़ी लगाता हूँ,
ठहर गयीं हैं यादें पुरानी बातें सुनाता हूँ।
क्या मज़ा है जिंदगी का
उनके जबाब का इंतज़ार अभी बाँकी है,
ये दिल है कि मानता ही नहीं
अब भी धड़कता वैसे ही है।
बूढ़ा तो हो चुका है पर मानता नहीं,
शरीर दुखता है पर आँखों की शरारत जारी है।
इसलिये तो बार बार कहता हूँ-
मजे में हूँ मजे में हूँ
*सभी वरिष्ठ साथियों को समर्पित*
…..अज्ञात 🙏🏻