दंभ से भरा पति फुफकारा..
रूपया पैसे की नहीं रखता कमी तुम्हें
खरीददारी की दे रखी छूट तुम्हें
कपड़ों की नहीं गिनती तुम्हारी
जेवरात से लाद रखा तुम्हें
इससे ज्यादा क्या चाहती हो
आज खुलकर बतलाओ मुझे!!
धन दौलत, जेवरात की नहीं चाह मुझे
चार कपड़ों में साल भर गुजारा कर सकती हूं
बस चाहती हूं अपने हिस्से का सम्मान तुमसे!!
पत्नी ने शांत स्वर में अपने मन की बात सुनाई
सुनकर पतिदेव ने शर्मिंदगी से आंखें चुराई।
-Saroj Prajapati