*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*अधर, अलता, अलकें, ओष्ठ, अलि*
1 अधर
अधर फड़कते रह गए, प्रियतम आए द्वार।
प्रेम-पियासे ही रहे, मिला न कुछ उपहार।।
2 अलता
रच-हाथों में मेहँदी, बाँधा बिखरे -केश।
पावों में अलता लगा, चली सजन के देश।।
3 अलकें
अलकें लटकीं गाल पर, सपन सलोना रूप।
आँखों में साजन बसे, ऋतु बसंत की धूप।।
4 ओष्ठ
कंपन करते ओष्ठ हैं, पिया-सेज-शृंगार ।
नव जीवन की कल्पना, खड़े प्रेम के द्वार।।
5 अलि
अलि के कानों में कहा, जाती बाबुल देश।
रक्षाबंधन आ रहा, भाई का संदेश।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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