जो दिख रहा,वो आज! है...
कल! कैद हुआ, इक राज़ है।
गर्दिश कभी, कभी ताज है...
नया-पुराना साज़ है।।
#दर्पणकासच
#समय
#कलआजऔरकल
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111821424

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