चला कड़वी बातों के तीर, कर आत्मा को छलनी
बड़ी सफाई से उसे कुछ लोग दे मजाक का नाम
अपना पल्लू झाड़ लेते हैं लेकिन जब बात आए खुद पर
तो वहीं लोग हल्के फुल्के मजाक भी झेल नहीं पाते हैं
और बनाकर उसे अपने आत्मसम्मान का प्रश्न
बंदरों की भांति उछल कूद कर खूब शोर मचाते हैं।।
-Saroj Prajapati