जीवन परमात्मा की बक्षीस है यारों,
गुलदस्ते खुशी के सजाये ही रखे।
चमन के कांटों और कंकरो को भूले,
पुष्पो की खुशबू को ही दिल मे रखे।
कागो की कर्कश आवाज को भूले,
कोयल की कूको को ही दिल में रखे।
दुःख दायी यादों से सहम सहम कर,
रुदन की जागीरे श्वानो की ही रखे।
धरती समंदर से भरी पड़ी है,
दुःख दर्द समेटे और पधराये रखे।
तात्पर्य:जीवन भर की चोटें ठोकरें भुलाकर,
महेफिले खुशी की सजाये ही रखे।
मनुष्य के स्वभाव का एक पहलू यह है कि वह भूतकालीन यादों को भूल नहीं सकता है।उन दुःखद भूतकालीन यादों का चिंतन- जुगल(ruminate) किया करता है।सुखद यादें आनंददायक और दुःखद यादें तकलीफदेय होती है। जाड़े की ठंडी रातों में श्वान /कुत्ते लंबी तान खिंच कर रूदन करते हैं।रोते हैं।यह कुत्तों का जन्म सिद्ध अधिकार है। हम मनुष्य भी भूतकालीन दुःखद यादों को संजोए हुए न रखें और उनके लिए: कुत्तों की तरह रुदन न करें। रुदन करना कुत्तों का अधिकार है।यह अधिकार -जागीर कुत्तों से न छीनें।
रचयिता : सुरेन्द्रसिंह राओल
प्रस्तुतकर्ता: डॉ भैरवसिंह राओल