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चोटें ज़ख्म बनाती हैं, पर वही ज़ख्म चरित्र भी गढ़ते हैं...
जो मनुष्य दुख को देख सकता है वो दुख से मुक्ति पा भी सकता है। मेरी नई कहानी "दुःख क्या है?" https://www.matrubharti.com/book/19981541/dukh-kya-hai
ऐसा तो नहीं, कि मेरे मांगने से मुझे सबकुछ मिला हो, और ऐसा भी नहीं है, जो मांगा वो मिला ही न हो, पर जब किसी चीज की ख्वाइशे खत्म हो जाए, तो उसके मिलने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌼🌷🌷
मन में रखने से अच्छा है बोल दिया जाए आगे बढ़ कर दोस्ती का हाथ बढ़ाया जाए।
खुद से जीतने की कोशिश में खुद से ही हार जाती हूं।
हर सुबह की तरह ये सुबह भी नई उम्मीदो से भरी है।
किसी वस्तु का होना किसी और वस्तु के होने का प्रमाण है। Neha kariyaal
हर रोज एक कोशिश तो है। खुद से बेहतर बनने की। Neha kariyaal ✍️
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