विषय - कुएं का मेढ़क
दिनांक -05/07/2022
वर्षा ऋतु के आने पर,
जाने कहां से मेढ़क आने लगते है।
बारिश की बूंदों के साथ में,
ये तो टर्र टर्र करने लगते है।।
कभी सड़क तो कभी घरों में,
ये बारिश में दिख जाते हैं।
बच्चे भी तो इन्हें देखकर,
खुशी से ताली बजाते हैं।।
मेढ़क की फितरत होती है,
थोड़े पानी से खुश हो जाना।
उसी में फुदक फुदक कर,
अपनी खुशियों को दिखाना।।
छोटे छोटे से मेढ़क तो,
मदमस्त होकर झूमते है।
सावन भादों के महीने में ये,
बस थोड़े में ही घूमते हैं।।
थोड़े में ही जो संतुष्ट हो जाते,
उनको कुएं का मेढ़क लोग कहते हैं।
कुएं से निकलकर बाहर को देखो,
यही तो विद्वान लोग कहते हैं।।
लोगों के द्वारा यह कहावत,
बिल्कुल ही सही बैठती है।
कुएं के मेढ़क बने रहोगे तो,
बाहरी दुनियां नहीं दिखती हैं।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री