कभी बेपनाह बरस पड़ी,कभी बिलकुल चुप सी है
ये रिमझिम सी बारिश, कुछ - कुछ तुम सी है
कभी बड़ी ही मेहरबान, तो कभी बड़ी परेशान
ये बारिश फिर भी, होती है धरती की जान
कभी मुझको प्यार में भिगोती हुई तो कभी दूर सी है
ये रिमझिम सी बारिश, कुछ - कुछ तुम सी है
-अनुभूति अनिता पाठक