विषय - प्रेम एक अनोखा बंधन
दिनांक -30/06/2022
मिलें थे जब एक सफर में वह तो,
हम दोनों में बातें कई सारी हुई थी।
कुछ उन्होंने अपनी सुनाई थी,
कुछ हमनें अपनी भी कही थी।।
हम दोनों की बहुत कुछ बातें,
एक समान ही मिलती जुलती थी।
जाने किस बंधन में बंधने के लिए,
मंजिल भी अपनी ही लगती थी।।
न जाने किस मोहपाश में बंधकर,
दिल उनकी ओर खिंच रहा था।
बातें भी वह बड़ी प्यारी करते थे,
इस लिए कर्णप्रीय सब लग रहा था।।
उन्हें भी शायद हम अच्छे लगे थे,
इस लिए ही एक टक हमें निहार रहे थे।
बिना पलकें झपकाएं हुए वह तो,
बस हमको ही ताड़ रहे थे।।
न जाने कैसे अनोखे बंधन में,
हम दोनों ही शायद बंध गए थे।
प्रेम या लगाव को महसूस कर,
एक दूजे हम दोनों खो गए थे।।
लेकर हाथों में हाथ एक दूसरे का,
अपने दिलों का हाल बयां किया था।
अब रहेंगे हम साथ में मिलकर,
हम दोनों ने ही ये फैसला लिया था।।
प्रेम के इस अटूट बंधन में,
हम दोनों को अब बंधना है।
घरवालों को भी राजी करके,
विवाह का पूरा करना सपना है।।
हम दोनों की बातों का ये सिलसिला,
बहुत दूर तक जाके थमा था।
अपनी अपनी मंजिल आने पर ही,
हम दोनों का वार्तालाप रुका था।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री