रौद्र रस
"काली स्वरूप "
केश खोल चक्रवात जग में छा जाए
तब ,काली का स्वरूप बाहर आए,
काशी सा शीतल स्वभाव था, कभी जिसका
आज उसके आँखों के दर्पण से
अग्नि मे लिपटे हुए एक कोमल
हृदय का छायाचित्र दिख जाए ।
धैर्यशील थी जो कभी ,
आज धैर्य का आंचल छोड़ जाए
आखेट समझ लिया था
जिस समाज ने उसे कभी
आज उसका वह श्राद्ध किए जाए ।
कांच सा मान-सम्मान को वह अपने
औरों की निष्ठुरता से बचाती जाए
जब खींचे कोई आंचल उसका
त्रिशूल से उनका संघार किए जाए
घातक नहीं है वह परंतु
Deepti