अपनी पूरी ताकत झोंक देता है पिता ।
इस तरह बच्चों के सपनों को संजोता है पिता ।
संतान के उज्जवल भविष्य की खातिर,
संघर्षों भरा जीवन जीता है पिता ।
स्वयं की हसरतें मन में रखकर,
अपनी हैसियत से ज्यादा संतान को देता है पिता।
सुखद बुढ़ापा जी सके परिवार के संग,
इस उम्मीद में जवान कदमों से अथक चलता है पिता।
किसी खास दिन या मौके का मोहताज नहीं होता,
जिस घर में बुढ़ापे में भी बच्चों संग हंसता है पिता।
-Premlata