छल से भरे संसार मे दे गये
परिचय जो थे |
देखना वह झूठ न हो ,
विश्वास मेरा न डिगे |
मानती हूँ बुद्धि बैठी ,
बाहर से तुमको है तके ,
हूँ नही मजबूत मै भी ,
दीवार ये कैसे टिके |
जीतना न जीत मेरी,
हारना न हार है ,
भ्रम ही भ्रम फैला हुआ ,
भ्रम का लगा बाजार है |