*मनमीत,पारिजात,प्रपात,अंगार,उपवास*
1 मनमीत
मीत मिले मनमीत सा, जीवन में उल्लास।
हँसी-खुशी जीवन जिएँ, छा जाता मधुमास।।
2 पारिजात
पारिजात का वृक्ष यह, पावन पुण्य प्रसून।
खुशबू देता रात भर, महके महिना जून।।
3 प्रपात
विश्व पटल में है बड़ा, नियाग्रा जल प्रपात।
देख अचम्भित हैं सभी, करता सबको मात।।
4 अंगार
बरसाता अंगार जब, सूरज देता त्राण।
जिनके सिर पर छत नहीं, हर लेता है प्राण।।
5 उपवास।
भिक्षुक को भिक्षा नहीं, हो जाता उपवास।
लिखा भाग्य में है उसे, जीवन में संत्रास।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
🙏🙏🙏🙏🙏