*बिजली, पानी, हवा, तूफान,आँधी*
1 बिजली
बिजली कड़की गगन में, मेघा छाए भोर।
सूरज की गर्मी गई, मानसून का शोर।।
2 पानी
जीवन पानी-बुलबुला, जीने का हो ढंग।
समझा जिसने है इसे, झूमा पी कर भंग।।
3 हवा
शुद्ध हवा बहती यहाँ, वृक्षों की भरमार।
इठलाती नदियाँ बहें, न्याग्रा-सी जलधार।।
4 तूफान
मानव साहस से भरा, कभी न मानी हार।
जीवन में तूफान सब, हैं बेबस लाचार।।
5 आँधी
घाव दिया आँधी गई, छोड़ा जख्म निशान।
उपचारों से भर गया, फिर से उगा विहान।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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