मैं और मेरे अह्सास
तेरा ज़िक्र मेरी रूह तक को हिला देता है l
तेरी फ़िक्र मेरी रूह तक को हिला देती है l
इस तरफ़ नाता जुड़ गया है जमनोमनं का l
तुझसे दूर होने का ख्याल मेरी जान लेती है l
कल क्या होगा मेरे जाने के बाद इस वास्ते l
तेरी लिए एक एक साँस सजोए समेटी है ll
१९-५-२०२२
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह