मैं और मेरे अह्सास
मैं नारी हूँ , अपराजिता हूँ l
न झुकुंगी, न रुकूंगी, न रोउंगी, न डरूँगी l
हौसलों के साथ आगे कदम बढाउंगी l
कोई जंजीरें मेरे पाँव बाँध नहीं सकतीं l
कोई तूफ़ाँ, कोई आँधी मुझे नहीं रोक सकती l
न थकुंगी न हार मानूंगी, लक्सय पाऊँगी l
रण में रणचंडी, घर में बच्चों की माँ बनुँगी ll
हाँ मैं नारी हूँ, अपराजिता ही बनी रहूँगी ll
१७-५-२०२२
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह