मैं और मेरे अह्सास
धूप में पेड़ की छाया में रुकना है l
आज सूर्य के ताप को भूलना है ll
क़ायनात मे किसी से डरना नहीं l
सिर्फ़ ख़ुदा के सामने झुकना है ll
अच्छा बूरा सभी यहां भुगतना l
कर्मों के हिसाबो से डरना है ll
मुहब्बत मे मिला जो गम तो l
ममता की गोद मे फ़सना है ll
कईं ग़मों से घिरे हुए हैं लोग l
सब को हसाके अब हसना है ll
१६-५ -२०२२