कभी - कभी कठिन फ़ैसले लेने पड़ते हैं .............
इस अनगढ़ जीवन को सुदृढ़ - सुगढ़ बनाने को ‘
संघर्ष ज़रूरी होता है, हर शिखर तक जाने को ।
क्या हुआ ग़र कभी कदम तुम्हारे राह में डगमगा गए ,
लड़खड़ाते कदम ही तुम्हें संभलकर चलना सिखा गए ।
गिराने के ख़ातिर हाथ अनेकों हर पल तत्पर पाएँगे ,
मुझे गिराने की कोशिश में वे खुद को नाकाम ही पाएँगे ।
एक बीज जैसे गिरता है तो अनेकों पौधे लेकर उठता है ,
गिरकर उठना ही साहस है , ऐसे ही जीवन सँवरता है ।