Hindi Quote in Book-Review by Ruchi Dixit

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किसी भी कहानी की समीक्षा कहानी की इति से आरम्भ होती है ,लेकिन फिर भी कहानी के दो अध्याय को पढ़कर मैने मुख्य पात्रो पर सामाजिक दृष्टिकोण से समीक्षात्मक मत रखा है |
कहानियां समाज की प्रेरणा है फिर वह समाज से निकलकर आई हो या कल्पना स्तर से भविष्य मे समाजिक दर्पण बन जाती हैं | यहाँ प्रेम को सम्बोधित करते हुए प्रेमी और प्रेमिका की भावना को दर्शाया गया है जिसमे कामभावना को समर्पण का नाम दिया गया | समर्पण का अर्थ केवल दैहिक मिलन , दैहिक आवश्यकतापूर्ती नही होता | यह वह त्याग है जिसके बाद कोई त्याग बचता ही नहीं | खैर "समर्पण" विषय पर व्याख्या बहुत लम्बी हो जायेगी | मै यहाँ पुस्तक पात्र समीक्षात्मक विषय पर हूँ | दो प्रेमी युगलो का समस्त सीमायें पार करने के उपरान्त पारिवारिक मजबूरियों का हवाला देते हुये एक दूसरे से दूर जाने का निर्णय | और दोनो का अपना -अपना जीवन शुरु करना | यहाँ तक तो ठीक फिर से पुन: फिल्मी अंदाज मे मिलना | यहाँ संबधो के साथ - साथ प्रेम का भी उपहास हुआ | खुशबू ने अपने पति को अपने पूर्व प्रेमी के बारे मे नही बताया दो अध्याय को पढ़कर ऐसा ही लगता है| यह पति और प्रेम दोनो के प्रति धोखा है | वही शेखर ने मीरा से खुशबू की बात छुपाई बावजूद बातचीत जारी रखी | यहाँ गलत प्रेम के नाम पर स्वंय और अपने जीवनसाथी को धोखा देना है | यही निरन्तर प्रक्रिया एक नये समाज का निर्माण करने को आतुर है जो स्वार्थो की पराकाष्ठा पर जाकर रूकेगा |वैसे पढ़ने मे कहानी अच्छी है जैसा कि मैने पहले ही कहा कि मेरी समीक्षा का आधार वह सामाजिक दृष्टिकोण है जो अपनी सीमाओं द्वारा सबके अधिकारों को सुरक्षित करता है |

Hindi Book-Review by Ruchi Dixit : 111804017
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