धैर्य (लघुकथा)
वो बार होर्न बजाते हुए, भला बुरा कहने लगा। अभी रेड लाइट ही थी..., फिर भी उसने अपना रिक्शा साइड में किया किन्तु एसी की गाड़ी में बैठा महाशय साइकिल रिक्शे वाले को डांट रहा था। गहरी सांस लेकर बोझा सिर पर उठाए खड़े व्यक्ति ने मुड़ कर कहा, बार बार होर्न मत बजाओ साहब ;आप एसी गाड़ी में बैठे हो, हम धूप में खड़े है आपसे ज्यादा जल्दी तो हमें हैं। थोड़ा धैर्य रखें। यह सुनकर अमीरजादा ने अपनी गाड़ी का सीसा ऊपर कर लिया
-हेतराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ