उसने तो नहीं कहा (लघु कथा )
दिनोंदिन तापमान बढ़ता जा रहा था। सब के मुंह पर चिलचिलाती धूप और गर्मी की चर्चा थी। यही आज के समाचारों का बड़ा विषय रहा। हमेशा की तरह राजस्थान की सीमा पर प्रतिबद्ध छोटे भाई से
बात हुई।उसने बताया मृदा के कणों को बिखेरता समीर, झूलते झुक झुककर स्वागत करते पेड़,
दूर दूर दिखाई देता कहीं खग - मृग, जीवन मौन
किन्तु सूं - सूं सुनाई देता प्रकृति का गान..., सब
कुछ बहुत अच्छा अनुभव दे रहें हैं। उसने नहीं
कहा,बहुत गर्मी है। मुझे समझ आ गया है कि
ये तापमान श्रमिक, किसान, जवान
के लिए नहीं होता।
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