सफर नाम की बुक का...
और एक पन्ना मूड रहा है।
कितनी संभाल कर रखूं में उस मैं यादें....
या पन्ना कम पड़ेगा या कलम की शाही....
जिंदगी का सबसे हसीन वक्त खत्म हो गया....
कॉलेज की कहानी भी और घर का आंगन भी...
शुरू कर दिया है इस बुक का सबसे बड़ा सफर....
नौकरी कहते है उसे..उसमे ही गुजर जायेगी उमर...
कोई सवाल नहीं इस पन्ने से....
क्योंकि खुश है मेरे अपने मेरे इस कर्म से...
Thank you so much all of you for support me....
-Janavi Hingu